Sunday, October 13, 2024

यादों में बस जाती है ( ग़ज़ल )

यादों में बस जाती है ( ग़ज़ल )

जब तलक रहे सांस तब तक
तेरी याद मुझे सताती रहेगी
गुज़रे दिनों की ज़िंदगानी
छाया बनकर साथ है

आँखों में तेरी सूरत का सपना
दिल की गहराई में समाया है
तेरे बिना ये दुनिया वीरान सी
हर लम्हा बस तन्हाई लाया है

रातों की खामोशी में अक्सर
तेरी आवाज़ सुनाई देती है
ये दर्द, ये सिसकियाँ अब तो
तेरी यादों में बस जाती है

जी आर कवियूर
14 10 2024

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