क्या करूं, कैसे कहूं, कहने को क्या बात है
वो रात-दिन की मुलाकातें, बीते हुए पल अब भी सताते हैं।
उस हंसी की क्या कहूं, जो दिल में बसी रहती है
तेरे साथ बिताए वो पल, जैसे हवा में महकती है।
हर ख्याल तेरा, जैसे जन्नत का एक रास्ता हो
तेरे बिना ये दुनिया, अधूरी एक कहानी हो।
दूर होकर भी, तेरा एहसास हर जगह रहता है
तेरी यादों की बारिश में, दिल अब तक भीगता है।
खुशबू तेरी, सीने में कहीं गहरी उतरती है
इन अनकही बातों में, इश्क की धड़कन सजती है।
तेरे ख्वाबों में खो जाता हूं, हर रात मेरी सजीव है
तुझ बिन ये जिंदगी, बस इक प्यासी तहरीर है।
जी आर कवियूर
14 10 2024
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