जगह अभी बाकी है
हमें आज तक पता नहीं है
अनजान बनकर आज भी
तुम चेहरा छुपा के चल दिए
ज़िक्र हो जब भी तेरा
हमारे लब खामोश हो जाते हैं
आँखों में बस आंसू रह जाते हैं
और दिल के ज़ख्म जाग जाते हैं
तुम वैसे ही रहो, कोई शिकवा नहीं
दिल में तुम्हारी जगह अब भी वही है
चाहे दर्द हो या तन्हाई का आलम
मेरे दिल में तुम्हारे लिए जगह अभी बाकी है
जी आर कवियूर
23 10 2024
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