तू और तेरे बांसुरी बिना
दिन रात कैसे कटेगी
तेरी तन्हाई मुझे तड़पती है
है मेरे प्यारे कन्हैया।
तूने जो रास रचाया था
वो स्वर अब भी गूंजते हैं
तेरी लीला की बातें प्यारी
दिल में सदा बसती हैं।
श्यामल रूप तेरा मोहक
नैनों में जो बसा है
तेरी कृपा से हर पल जीवन
मधुरता से सजा है।
तू ही तो है जीवन का आधार
तेरे बिना सब सूना है
हे कान्हा, आ जाओ फिर से
तेरी बांसुरी के गीत खोए हैं।
जी आर कवियूर
1810 2024
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