दीपक की लौ ने आँखें खोली,
अंधकार मिटा मन की डोली।
प्रकाश की किरणें सजी हैं,
सदभावना की जयकार बजी है।
आरती की ज्योत जल रही,
आनंद की बत्ती खिल रही।
प्रेम का शुभ दिन आ पहुँचा,
नव प्रकाश ने रंग बिखेरा।
दीप फैलें प्रार्थना बनकर,
दीपावली से भरें खुशी घर।
लक्ष्मी कृपा बरसाए ऐसे,
दुख-दर्द सब दूर हो जैसे।
जी आर कवियूर
30 10 2024
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