रिवाज की दहसील मैं निकल पड़ा
यादों की बारात लेकर
गुलाबों की खुशबू में खोया,
तेरे चेहरे की छवि सजाकर।
गली-गली में तेरा नाम लूँ,
हर मोड़ पर तेरा दीदार करूँ।
चाँदनी रातों में तेरा साथ हो,
सपनों की महफिल सजाकर।
बीते लम्हों की बातें करूँ,
तेरे बिना ये दिल है बेकरार।
हर ख्वाब में तेरा आना हो,
यादों का साया बनकर।
जी आर कवियूर
07 10 2024
No comments:
Post a Comment