Thursday, October 24, 2024

तेरे बिन हर रात अधूरी

तेरे बिन हर रात अधूरी 


यह खामोशियां, बेरुखियां,
इस कदर तनहाइयां मुझे,
तुझसे दूर रहकर दिल क्यों,
इतना बेचैन होकर रोता है।

आँखों में तेरी तस्वीर बसी,
पर हाथों से फिसल गई खुशी,
तू न हो पास तो हर घड़ी,
हर पल में इक खलिश होती है।

तेरे बिन हर रात अधूरी,
ख्वाब भी मायूस से लगते हैं,
तेरी यादों के दामन से,
मेरे अश्क रुक-रुक कर गिरते हैं।

कभी जो लौट आ, एक बार,
दिल की तन्हाई मिटा दे,
तू जो आए तो ये फिज़ा,
फिर से गुलज़ार हो जाती है।


जी आर कवियूर
24 10 2024

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