Sunday, October 13, 2024

दिल-ए-दिवाना। ( गजल)

दिल-ए-दिवाना। ( गजल)


मेरी आवाज़ को तू ना पहचान
अब तलक दिल मेरा नहीं तू जाना

दिल की बातें कैसे बताऊं तुझसे
हर एक अहसास तूने अनजाना

तेरी खामोशी में छुपा है कुछ
मगर तूने कभी उसे नहीं माना

तेरे लफ्ज़ों में भी तो प्यार था
पर हर बार मेरा नाम अंजाना

तेरे करीब आके भी दूर था मैं
कभी मेरे दर्द को नहीं तूने पहचाना

अब मैं कैसे कहूं तुझसे ये बात
कि तू ही है मेरा दिल-ए-दिवाना।

जी आर कवियूर
13 10 2024
   

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