कितने युगों से मैं
तलाश रहा हूँ तुझमें
तेरी आँखों में खिला हुआ
प्यार का वो फूल.
ऋतुएँ आती जाती हैं,
तेरा चेहरा मुझे
हैरान कर देता है,
मुझमें छिपी ग़ज़ल जाग उठती है.
तेरी हल्की मुस्कान में
मैं ज़िन्दगी की खुशबू पाता हूँ,
एक अनंत सफ़र की तरह
मेरा दिल तेरे सागर में
लंगर डालने की उम्मीद करता है.
जी आर कवियूर
15 10 2024
No comments:
Post a Comment