Tuesday, October 29, 2024

इश्क की चादर ओढ़ (गजल)

इश्क की चादर ओढ़ (गजल)


इश्क़ की चादर ओढ़,
कितनी भी मैली हो जाए,
तेरी यादों की खुशबू,
रंग लाती है मेरे लबों पे।

तू दूर सही, पर दिल के करीब है,
तेरी ख़ामोशी भी मेरी तसल्ली है।
तेरी पलकों का हर आँसू,
मेरी रातों की कहानी है।

मिट नहीं सकती है ये दूरी,
जज़्बातों का ये सिलसिला है।
तेरी आवाज़ का हर लम्हा,
मेरी धड़कनों में बसा है।

तेरी राहों में मेरा सफ़र है,
तेरी सांसों में मेरी उम्र है।
इश्क़ की आग जो लगी है,
अब बुझने का नाम नहीं है।

जी आर कवियूर
29 10 2024

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