ज़िन्दगी के आख़िरी पन्नों पर
लिखा है सबको एक दिन जाना पड़ेगा,
हर चेहरे को आँसुओं में बहना पड़ेगा।
मंज़िल चाहे कितनी भी ख़ूबसूरत हो,
रास्तों को एक दिन ढलना पड़ेगा।
हर लम्हे को जी लो हंस कर अभी,
क्या पता कब हमें रुकना पड़ेगा।
वक्त की रफ्तार से कौन बचा है,
इस सफर में हर किसी को थकना पड़ेगा।
चाहें जितनी भी कोशिशें कर लो तुम,
आखिर एक दिन अलविदा कहना पड़ेगा।
जी आर कवियूर
31 10 2024
No comments:
Post a Comment