Tuesday, October 29, 2024

इश्क की जज्बात मे

इश्क की जज्बात मे


इश्क़ की जज़्बात में
रंग लाई दिल की धड़कनों में,
गूंज उठा रूह की गहराइयों में,
होश खो बैठा तन्हाइयों में।

तेरी यादों का चिराग जलता रहा,
हर आहट में तेरा नाम बसता रहा।
सपनों के संग मैंने रातें बिताई,
तेरी तस्वीर से मैंने बातें जताई।

हवा में घुला तेरे प्यार का नग़मा,
हर सांस में बसी है तेरी खुशबू जज़्बा।
तेरी आँखों में खोने को दिल बेताब है,
तेरे बिना ये सफर कितना खराब है।

उम्मीदों के दामन में जो कसक है,
हर लम्हा तुझे पाने की हसरत है।
तेरी ख़ामोशी में भी एक आवाज़ है,
जैसे दिल में कोई तूफानी राज़ है।

दिल की गहराई में डूबा हूँ तेरे लिए,
इक बेनाम तड़प है मेरे लिए,
तेरी मोहब्बत में खो कर ये जाना,
तू मेरा, मैं तेरा अफसाना।


जी आर कवियूर
28 10 2024



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