Thursday, February 27, 2025

अजीब बातें (ग़ज़ल)

अजीब बातें (ग़ज़ल)

यह अजीब बातें तूने की हैं,
दिल मचल-मचल तूने की हैं।

हमने चाहा तुझसे दूर जाएँ,
पर यह आरज़ू तूने की हैं।

रात भर चाँद से बात की है,
तेरी ग़मग़ुज़ारी तूने की हैं।

अब न आएगा कोई बहाना,
ख़त्म हर गिला तूने की हैं।

आइने में जो अक्स दिखता है,
उसकी बेरुख़ी तूने की हैं।

"जी आर" ने फिर भी सब्र रखा,
जो भी बेवफ़ाई तूने की हैं।

जी आर कवियूर
28 - 02 -2025

Wednesday, February 26, 2025

तेरी याद का कारवां (ग़ज़ल)

तेरी याद का कारवां (ग़ज़ल)

तेरे नाम लबों पे लिए, तेरी याद दिल में लिए
हम चले थे अकेले मगर, तेरी चाह महफ़िल में लिए

तेरी राहों में रुकते रहे, तेरी आँख की नमी लिए
हर गली से गुज़रते रहे, कोई आस बेबसी लिए

दिल के वीरान गुलशन में, तेरी यादों की बारिश लिए
हम बहारों से पूछे रहे, कोई खुशबू ग़मों में लिए

तेरी तस्वीर सीने में थी, तेरा अहसास साँसों में था
हम चले थे तन्हा मगर, तेरी परछाइयाँ भी लिए

तेरी बातों की खुशबू लिए, तेरी यादों की बारिश लिए
रात भर जागते ही रहे, तेरी चाहत की आहट लिए

अब भी उम्मीद बाक़ी रही, अब भी धड़कन में तू ही रहा
हमने जीना सिखा "जी आर", तेरा ग़म ज़िंदगी में लिए

जी आर कवियूर
27 - 02 -2025

जब तू आया सजन (ग़ज़ल)

जब तू आया सजन (ग़ज़ल)

सज-धज के जब तू आया सजन, क्या बहार आई
सावन भी झूम उठा, तेरी जब याद आई

बिखरी जो मेरी ज़ुल्फ़ें, घटाएँ भी गा उठीं
संग तेरे हर घड़ी, नई इक अदा आई

नज़रों में तेरा जादू, संवरने लगा बदन
जो दिल में हलचलें थीं, लबों पर दुआ आई

तू पास हो तो महके, मेरे दिल का हर गुलाब
तू दूर जाए तो फिर ये दुनिया बुझा आई

दिल में छुपी जो तड़पन, वो अश्कों में ढल गई
तेरी निगाह छूके, हमें फिर सदा आई

"जी आर" के नग़मों में, तेरा ही जिक्र है
तेरे बिना ये ग़ज़ल, अधूरी सी रह गई

जी आर कवियूर
26 - 02 -2025

Monday, February 24, 2025

तेरी यादों का साया (ग़ज़ल)


तेरी यादों का साया (ग़ज़ल)

जाने क्यों आज तेरा चेहरा याद आया,
ख़ामोश रातों में तेरा साया याद आया।

बिछड़े ज़माने बीत गए पर आज फिर,
तेरी वही मीठी अदा दोबारा याद आया।

साहिल पे लहरों ने कुछ मुझसे कहा यूँ,
तेरे संग बीता हर नज़ारा याद आया।

खुशबू सी उठी दिल में बीती मोहब्बत की,
टूटा हुआ कोई सितारा याद आया।

तन्हाइयों ने मुझसे कुछ बातें की जब,
तेरा लबों से कहना दोबारा याद आया।

‘जी आर’ के नग़मों में तेरा ज़िक्र आया जब,
आँखों में फिर से तेरा प्यारा याद आया।

जी आर कवियूर
25 - 02 -2025

Sunday, February 23, 2025

वादा रहा (ग़ज़ल)

वादा रहा (ग़ज़ल)

तेरी आँखों में हर इक नज़ारा वादा रहा,
ज़िंदगी भर हमारा तुम्हारा वादा रहा।

गुल खिले या बिखर जाए ख़ुशबू हवाओं में,
दिल की दुनिया में तेरा किनारा वादा रहा।

रूठ कर तुम गए फिर भी लौटी नहीं चाँदनी,
चाँद तन्हा रहा पर सितारा वादा रहा।

इश्क़ में जो भी खोया वही बन गया रौशनी,
तेरी यादों का हर एक तारा वादा रहा।

ज़ख़्म खाकर भी हँसते रहे हम तेरी चाह में,
तेरे होठों की वो मुस्कुराहट वादा रहा।

प्रेम पथ पर सदा दीप जला "जी आर",
तेरा नाम ही बस एक वादा रहा।

जी आर कवियूर
24 - 02 -2025

तेरी यादों की... ग़ज़ल

तेरी यादों की...ग़ज़ल

फिर वही बात छेड़ी है तेरी यादों की,
फिर चली है हवा तेरी यादों की।

चांदनी रात रोई मेरे संग-संग यूं,
बिखरी थी हर जगह छांव तेरी यादों की।

दिल के वीरान गलियारों में गूंजती,
सर्द आहट बनी बात तेरी यादों की।

लौट आऊं कहीं छोड़कर ये जहां,
रख ना पाई कसम रात तेरी यादों की।

अब तो जी आर भी थक सा गया है मगर,
खत्म क्यों हो न पाए घात तेरी यादों की।

जी आर कवियूर
24 - 02 -2025

Saturday, February 22, 2025

नियति के दीप जलते कहाँ (ग़ज़ल )

नियति के दीप जलते कहाँ

मिलेंगे कि बिछड़ना नियति में है,
सपनों में सिमटना नियति में है।

किताबों के पन्नों में सूखा फूल,
यादों का बिखरना नियति में है।

गहराइयों से उठा कोई मोती,
या कांच में चमकी वही नियति में है।

नशे की तरह है यह चाहत मेरी,
हर सांस में घुलना नियति में है।

मधुर दर्द की भीगी रुबाइयों में,
ग़ज़ल की तरह बहना नियति में है।

दो साए जो मिलते कहीं दूर हैं,
रेतों में सिमटना नियति में है।

मिलेंगे कि बिछड़ना नियति में है,
सपनों में सिमटना नियति में है।

जी आर कवियूर
23- 02 -2025

तेरे ख़यालों में ( गज़ाला)

तेरे ख़यालों में ( गज़ाला)

तेरे ख़यालों में जीने की तमन्ना जाग उठी,
तुझ बिन कैसे जियूँ, फिर तन्हाई जाग उठी।

जी रहा हूँ दर्द लेकर, हर घड़ी उलझा हुआ,
आरज़ू टूटी, मगर फिर से कशिश सी जाग उठी।

जीस्त वीरान हुई तेरी जुदाई के सबब,
राह तकते-तकते मेरी शाम-ए-ग़म फिर जाग उठी।

जी न पाएँगे तेरे बिन, ये ख़याल आया नहीं,
सांस भी रोकी मगर फिर हिचकियाँ सब जाग उठी।

जीने की हालत न थी, फिर भी तेरा नाम लेकर,
रूह ने जब दुआ माँगी, बेबसी भी जाग उठी।

जी गया ‘आर’ मोहब्बत में मगर तन्हा रहा,
याद बनकर फिर से उसकी बेरुख़ी भी जाग उठी।

जी आर कवियूर
22 - 02 -2025

Thursday, February 20, 2025

ग़ज़ल: तेरी यादों के नज़राने के सिवा

ग़ज़ल: तेरी यादों के नज़राने के सिवा

मेरे दिल को बहलाने के सिवा,
तेरी यादों के नज़राने के सिवा।

मुझे मालूम था वादा झूठा था,
कुछ नहीं तेरे बहाने के सिवा।

मेरे अश्कों ने कहा रातों से,
क्या मिला इनको बहाने के सिवा।

हमने चाहा था तुझे हर सांस में,
मगर पाया तेरे अफसाने के सिवा।

तेरे क़दमों के निशां ढूंढा किए,
कुछ न पाया इन वीराने के सिवा।

जी आर ने लिखी जब तेरी दास्तां,
कुछ नहीं था दर्द के फ़साने के सिवा।

जी आर कवियूर
20 - 02 -2025

नज़रों से नज़रें मिलीं (ग़ज़ल)

नज़रों से नज़रें मिलीं (ग़ज़ल)

नज़रों से नज़रें मिलीं बात उतरी,
दिल से दिल तक सफ़र करके उतरी।

मैंने मांगी थी तुझसे बस एक झलक,
मगर तू मुकरकर निगाहें बचा उतरी।

ख़ामोश लब थे मगर दिल ने कुछ कहा,
तेरी हर अदा से मोहब्बत सजा उतरी।

चमकती चांदनी भी तेरे हुस्न से हारी,
ख़ुदा की इनायत ज़मीं पर जुड़ा उतरी।

वो पलकों पे सपने संभाल कर रखता है,
हवा बन के तेरी ख़ुशबू छुपा उतरी।

जी आर का हर शेर बस तुझसे है जुड़ा,
वफ़ा का हर रंग तेरे लिए बना उतरी।

जी आर कवियूर
20 - 02 -2025

Wednesday, February 19, 2025

होली का गीत

होली का गीत

रंगों की बौछार है, होली का त्योहार है,
सभी मिलकर आएं, खुशियों की बहार है।

गुलाल से रंगे गाल, हंसी-ठिठोली चाल,
नाचें गाएं सब मिलकर, भूलें सारे जंजाल।

पिचकारी की धार से, भीगें सब यार-दोस्त,
मिठाइयों की मिठास में, रिश्तों का हो जोश।

ढोल की थाप पर थिरकें, मन में उमंगें छाएं,
प्रेम और सद्भावना से, सबके दिल मिल जाएं।

बैर-भाव को भूलकर, गले हम सब लगाएं,
होली के इस पर्व पर, दुनिया को रंगीन बनाएं।

जी आर कवियूर
20 - 02 -2025

मोक्ष यात्रा का पथ

मोक्ष यात्रा का पथ

नित्य साधना के ध्यान से
जागती है मुझमें आत्मचेतना की धारा,
जानता हूं अनंत आनंद,
अनुभूति देती है पूर्णता का भाव।

अज्ञान के अंधकार को हटाकर
अंतर में प्रकाश का दीप जलता है,
मन शांति की खोज में स्थिर होता है,
असत्य से सत्य की ओर यात्रा करता है।

अविनाशी है आत्मस्वरूप,
आराधना से स्वयं प्रकट होता है,
परम है ब्रह्मसूत्र,
पंचभूत में विलीन होते पंचभूत।

प्राणायाम के अनुभव से
गहराई में फैलती है पवित्र ऊर्जा,
चैतन्य शक्ति और चिदानंद,
मोक्ष बन जाती है सम्पूर्ण सृष्टि के लिए।

जी आर कवियूर
19 - 02 -2025

तू मेरी सुबह की रोशनी है

 तू मेरी सुबह की रोशनी है

तू मेरी सुबह की रोशनी है,
ख़्वाब है या कोई कहानी है।
दिल के हर इक धड़कन में बहती,
सुरमई धारा तू ही पानी है।

तू मेरे ख्यालों में बसती,
दिन का छुपा कोई राज़ है।
आँखों में छाया हरियाली,
दिल में महकता तेरा साज़ है।

तू मेरे जीवन की आरज़ू,
महकती बोलों की पहचान है।
सितारों से जगमग करता,
नीले गगन का तू अरमान है।

कभी न बिछड़े, रहे पास मेरे,
तेरा प्यार समंदर गहरा है।
इंतज़ार के बादल भी हटते,
तेरी मुस्कान का ही पहरा है।

जी आर कवियूर
19 - 02 -2025

Monday, February 17, 2025

ग़ज़ल: ख़याल आपका

ग़ज़ल: ख़याल आपका

नींदों में भी उभर आया ख़याल आपका,
नशा जो है उतरता नहीं सवाल आपका।

सूरज की रौशनी में भी चमकते हैं निशां,
दिल पर जो लिख गया है वो कमाल आपका।

हर एक शब गुमां होता है जन्नतों का सफ़र,
महका जो रह गया है वो गुलाब आपका।

जिन लफ़्ज़ों में बयाँ की थी मोहब्बतें कभी,
हर एक शेर में ज़िंदा है जवाब आपका।

दिल की किताब खोल के रख दी है सामने,
देखो तो छुप न पाएगा नक़ाब आपका।

"जी आर" ने जो लिखा है वो आपका करम,
हर इक दुआ में शामिल है हिसाब आपका।

जी आर कवियूर
17 - 02 -2025

Sunday, February 16, 2025

दिल्लगी कोई खेल नहीं (ग़ज़ल)

दिल्लगी कोई खेल नहीं (ग़ज़ल)

जज़्बात कोई खेल नहीं,
दिल्लगी कोई मेल नहीं।

रातों की नींदें उड़ गईं,
ख़्वाबों का भी रहम नहीं।

ज़ख़्म दिए जो प्यार में,
वो किसी का एहसास नहीं।

आँखों में तेरे ठहरे चमक,
अब इनमें कोई ख़्वाब नहीं।

तुझसे बिछड़ के जी लिए,
ये भी कोई कमाल नहीं।

जी आर के लफ़्ज़ों में,
इश्क़ कोई सवाल नहीं।


जी आर कवियूर
17 - 02 -2025

तेरी याद काफ़ी है ( ग़ज़ल )

तेरी याद काफ़ी है ( ग़ज़ल )

वेदनाओं को भुलाने को तेरी याद काफ़ी है,
सपनों में जो आए वो फ़रियाद काफ़ी है।

जुदाई के लम्हों में दर्द का आना,
तेरी यादों से दिल को बहलाना काफ़ी है।

ख्वाबों में तेरा हर पल नजर आना,
तेरी परछाईं का साथ निभाना काफ़ी है।

अश्कों की बारिश में भीगते रहना,
तेरे प्यार का एहसास जगाना काफ़ी है।

इस वीराने में तेरा नाम पुकारना,
तेरे मुस्कानों से सुकून पाना काफ़ी है।

'जी आर' के दिल में है बस तेरा ही अफ़साना,
तेरा हर इक वादा निभाना काफ़ी है।

जी आर कवियूर
16 - 02 -2025

Saturday, February 15, 2025

"सिलसिला मिलन का" (ग़ज़ल)

"सिलसिला मिलन का" (ग़ज़ल)



यह सिलसिला मिलन का यूँ ही जारी रहे,
हर खुशी का रिश्ता हमसे जुड़ा रहे।

यादों की बारिश में हर पल भीगते रहें,
हर रात, हर दिन का पल सुखद बने रहें।

चमके सदा प्यार का सूरज हमारी राहों में,
खुशियों के फूल खिलें दिल की हर राहों में।

हर लम्हा ज़िंदगी का गीत बने सच्चाई का,
हर कदम पर साथ रहे बस परछाई का।

ख्वाबों की दुनिया में हर पल जीते रहें,
साथ हमारा कभी न तन्हा बीते रहें।

'जी आर' का दिल सदा यादों से महकता रहे,
यह प्यार का रिश्ता सदा दिल से बंधा रहे।

जी आर कवियूर
16 - 02 -2025

Friday, February 14, 2025

तू मुझे छोड़कर कहाँ जाएगी (ग़ज़ल)

तू मुझे छोड़कर कहाँ जाएगी (ग़ज़ल)

तू मुझे छोड़कर कहाँ जाएगी,
तू मेरे दिल में है, कहाँ जाएगी।

हर घड़ी मेरे दिल पे छाई रहे,
तेरी यादों की रात है, कहाँ जाएगी।

तेरी तासीर ने छू लिया यूँ मुझे,
अब ये जज़्बात है, कहाँ जाएगी।

तेरे साए में गुज़रे हैं लम्हे सभी,
अब ये बारात है, कहाँ जाएगी।

तूने देखी नहीं दिल की हालत कभी,
मुझसे सौगात है, कहाँ जाएगी।

जी आर तेरे बिन अधूरी लगे,
दिल की हर बात है, कहाँ जाएगी।

जी आर कवियूर
14 - 02 -2025

प्रेम दिवस की यादें

प्रेम दिवस की यादें

प्रेम की संध्या में फैली
तेरी वचन में मैं चांदनी बनकर आई।
मन की माटी की वीणा से निकली
संगीत रूपी तू मेरा सहारा है।

हर प्रेम राग में तेरा रूप,
मन की खिड़की में प्रतिदिन
तेरी सुंदरता से सजी
सपने जागते और खो जाते हैं।

फूलों की तरह खिलता है अंतर,
हवा बनकर तितलियाँ हंसती हैं संग मेरे।
आंसू पोंछे हुए आंखें जब चमकती हैं,
तब तू मुझमें प्रेम बनकर समा जाती है।

जी आर कवियूर
14 - 02 -2025



Wednesday, February 12, 2025

तलब छाई है ( ग़ज़ल )

तलब छाई है ( ग़ज़ल )


तुझसे मिलने की हर तलब छाई है,
ज़िंदगी पर अजब अदब छाई है।

दिल की राहों में फिर चिराग जलाए हैं,
तेरी यादों का हर सबब छाई है।

तन्हा दिल को तेरा ख्याल बहलाता है,
वरना हर सोच में कष्ट छाई है।

तेरा वादा भी एक ख़्वाब सा लगता है,
सच कहूँ तो अजब ग़ज़ब छाई है।

दर्द-ए-दिल को तसल्ली मिली है तुझसे,
वरना हर ज़ख्म में तलब छाई है।

'जी आर' की ये ग़ज़ल हर दिल को छू जाएगी,
उसकी आवाज़ में भी तलब छाई है।

जी आर कवियूर
13 - 02 -2025

Monday, February 10, 2025

"तेरी यादों की परछाइयाँ" (ग़ज़ल)

"तेरी यादों की परछाइयाँ" (ग़ज़ल)

मेरी दर्द भरी तन्हाइयों में,
तेरी यादों की परछाइयों में।

कभी अश्कों की बूंदें छलकती रहीं,
कभी खुशबू बसी सर्द राहों में।

तेरे लफ़्ज़ों का जादू है अब तक असर,
सुनाई दिए तू सदा आहटों में।

बिछड़कर भी मुझसे जुदा तू नहीं,
मिला करता है तू मेरी बातों में।

तू ही था जिससे था रंगीन आलम,
अब वीरान हैं मेरी राहों में।

तेरी यादों का जीआर है बंज़र सफर,
बसा ले मुझे अपनी बाहों में।

जी आर कवियूर
11- 02 -2025

Saturday, February 8, 2025

ग़ज़ल – तू ही है

ग़ज़ल – तू ही है


सूरज की पहली किरणों में, दिखता तेरा जलवा तू ही है
चंदा की ठंडी चाँदनी में, खिलता तेरा चेहरा तू ही है

अगर मैं एक चिंगारी हूँ, तो आग बना दे साँसों में
अगर मैं कोई धड़कन हूँ, तो दिल का मेरा नग़्मा तू ही है

हर बात मेरी तेरी है, हर जज़्बात में महक तेरा
जो लफ्ज़ अधूरे लगते थे, उनका भी अब सरगम तू ही है

सूनी इन आँखों के अंदर, कुछ ख़्वाब दबे से रहते हैं
जो पलकों पर बरसते हैं, उनका भी अब मौसम तू ही है

दुनिया की भीड़ में तन्हा था, जब तेरा सहारा मिल ना सका
जो रंग भरे इस जीवन में, ऐसा कोई परछम तू ही है**

अब जी आर की बातों में, हर शेर में हर नग़्मा तू ही है

जी आर कवियूर
08 -02 -2025

तेरी इन आखों में (ग़ज़ल )

तेरी इन आखों में (ग़ज़ल )


काजल जो जेल आँखों में, सावन जो ढलके आँखों में
बादल भी घुल के रोते हैं, अरमान जलके आँखों में

नज़रों से उनकी उठते ही, ख़्वाबों के गुल खिले कैसे
सूरज भी छुप गया जैसे, बादल मचलके आँखों में

यादों की भीड़ में अक्सर, तन्हाइयाँ भटकती हैं
शब ढलते ही सिसकते हैं, जज़्बात छलके आँखों में

सागर से गहरा रिश्ता है, आँसू के हर कतरे का
ग़म जब भी ज़्यादा होता है, मोती उबलके आँखों में

दिल के गुलिस्तां में अब तक, वो प्यार की ख़ुशबू बाक़ी
तूफाँ भी आए लेकिन, जज़्बात पलके आँखों में

दुनिया की भीड़ में तन्हा, चेहरा छुपा के बैठे हैं
उलझे हुए हैं कुछ सपने, और धूल जमके आँखों में

जी आर के बातों में, शायरी टपके आँखों में

जी आर कवियूर
08 -02 -2025


Friday, February 7, 2025

तेरी यादों की आग (ग़ज़ल)

तेरी यादों की आग (ग़ज़ल )

आग लगी है नस-नस में, तेरा नाम लिए जाते हैं,
सांसों की हर धड़कन में, तुझको हम ही पाए जाते हैं।

दर्द की शब में तन्हा रहकर, अश्कों में नहाए जाते हैं,
याद तेरी जब आती है, दिल को हम समझाए जाते हैं।

छोड़ गई जो राहों में, उसकी राह सजाए जाते हैं,
दिल का हाल सुनाने को, शेर नए बनाए जाते हैं।

टूट चुका हूँ फिर भी देखो, उम्मीद जगाए जाते हैं,
ज़ख्म पुराने सीने में हैं, फिर भी मुस्काए जाते हैं।

तेरी जफ़ाओं के चर्चे, अब तो हर महफ़िल में हैं,
हम फिर भी उस बेवफ़ा के, नग़मे ही गाए जाते हैं।

अब तो सुकूँ बस इतना चाहूँ, ख़त्म हो ये बेचैनियाँ,
वरना तुझे पाने की ख्वाहिश में, फिर से लुटाए जाते हैं।

‘जी आर’ की तक़दीर में, जो दर्द लिखा था रहमत ने,
अब उसी दर्द की चादर में, खुद को ही छुपाए जाते हैं।

जी आर कवियूर
08 -02 -2025

कैसे समझाऊं (ग़ज़ल)

कैसे समझाऊं (ग़ज़ल)

तेरे दिल की बातें लबों तक न आईं,
नैनों ने बतायीं, ख़ामोश समझाऊं।

साँसों में बसी है तेरी ही ख़ुशबू,
चाहूँ भी भुला दूँ, कैसे समझाऊं।

तू पास नहीं है, मगर दिल में ज़िंदा,
इस दर्द-ए-जुदाई को कैसे समझाऊं।

अब रात की चादर भी तन्हा लगे है,
तेरी याद कहे है, कैसे समझाऊं।

आँखों से बरसती रही ख़ामोशी,
दिल रो के जो बोला, कैसे समझाऊं।

बेजान पड़ा हूँ मैं अश्कों के तले,
अपनी ही तबाही को कैसे समझाऊं।

"जी आर" ने चाहा तुझे जान से भी,
तूने नहीं जाना, कैसे समझाऊं।


जी आर कवियूर
07 -02 -2025

Thursday, February 6, 2025

"समझ लेना ज़रूरी है" ( ग़ज़ल)

"समझ लेना ज़रूरी है" ( ग़ज़ल)

आज ये बात तुझे समझ लेना ज़रूरी है,
दिल से तुझे चाहा है, ये जान लेना ज़रूरी है।

बिछड़ के भी हम तुझसे वफ़ा करते रहेंगे,
हमारे प्यार की कीमत समझ लेना ज़रूरी है।

तेरी यादों की खुशबू में अब भी जी रहे हैं,
इस दर्द की गहराई समझ लेना ज़रूरी है।

हमें दुनिया के रिश्तों की परवाह कब रही है,
हमारे इश्क़ की फितरत समझ लेना ज़रूरी है।

नज़र से दूर होकर भी तेरा साया नहीं छूटा,
हमारे हाल-ए-दिल को समझ लेना ज़रूरी है।

हर एक अश्क में तेरा ही चेहरा नज़र आता है,
इस बेकरार चाहत को समझ लेना ज़रूरी है।

जो धड़कन में बसी हो, उसे भुलाया नहीं जाता,
हमारे प्यार की हस्ती समझ लेना ज़रूरी है।

"जी आर" की आरज़ू बस तेरा दीदार है,
इस दिल की मोहब्बत को समझ लेना ज़रूरी है।

जी आर कवियूर
07 -02 -2025

मन की ग़मगीनियाँ ( ग़ज़ल)

मन की ग़मगीनियाँ ( ग़ज़ल)

कोई कैसे बताए उनके मन में क्या है
राज तो वही जाने, कि मन में क्या है

नज़रों में वो जो बातें बयां होती नहीं
दिल के अंदर छिपी, वो दुआं क्या है

जब लब सिल जाएं, आँखों में सवाल हो
हर जवाब में छिपा, वो खफा क्या है

दिल की ये धड़कनें क्यों डरती हैं तुम्हारे पास से
तुमसे दूर जाकर ये, कहाँ क्या है

रातों की चुप्प है जैसे कोई राज़ छुपा हो
चाँद के सन्नाटे में, क्या दुआ क्या है

जब यादों की बारिश हो, क्या फर्क है फिर फिजाओं से
जिंदगी की धड़कनें, कहां क्या है

तेरे बिना सारा जहां सुना सा लगता है
तुम्हारे अंदर जो प्यार है, वो क्या है

जी आर के जिगर में क्या है, ये राज़ तो वो जाने
दिल की बातें तो सिर्फ़ दिल में क्या है

जी आर कवियूर
06 -02 -2025

Tuesday, February 4, 2025

तेरे बिना नहीं जी सकत े(ग़ज़ल )

तेरे बिना नहीं जी सकते
(ग़ज़ल )

तेरे बिना नहीं जी सकते,
हर जन्म तुझी से जी सकते।

हर दर्द तेरा अपना समझें,
तेरी चाहत में जी सकते।

सांसों में तेरा एहसास बसा,
हर लम्हा तुझमें जी सकते।

दुनिया चाहे लाख सताए,
तेरी यादों में जी सकते।

क़िस्मत हमसे रूठ भी जाए,
तेरी दुआओं में जी सकते।

तू जो कहे तो आग भी पी लें,
तेरे हुक्मों से जी सकते।

ख़्वाबों में तेरा हाथ जो थामा,
हम हक़ीक़त में जी सकते।

जी.आर. की हर इक ग़ज़ल में,
तेरी बातें ही जी सकते।

जी आर कवियूर
05 -02 -2025

"तेरी यादों का गूंज"

"तेरी यादों का गूंज"

तेरी यादें
आँखों के पानी के जैसे
फिर से जिन्दगी में आती हैं,
सहन की धूप में
सोचों में समाती हैं।

तेरी बातें
हवा में खो जाती हैं,
कान में गूंजती हैं,
मौन रातें
तुझे ढूंढ़ती हैं,
प्रेम गीत बन जाती हैं।

दिल में छुपी
दर्द की हर एक लहर,
जैसे तुमने कहा,
समय गुजर जाए,
पर प्यार कभी नहीं मरता।

तेरी यादों में
अगर मैं खो भी जाऊं,
वो कभी नहीं मरेगी,
आंसुओं में बहकर
वो एक तड़प भरा गीत बन जाती हैं।

जी आर कवियूर
04 -02 -2025

"सच्चा प्रेम तेरा"(सुफ़ियाना ग़ज़ल)


"सच्चा प्रेम तेरा"
(सुफ़ियाना ग़ज़ल)

तेरा नाम ही साँसों में बस जाए ऐसा हो,
दिल का हर एक सुर तुझसे जुड़ जाए ऐसा हो।

रंग-ओ-नूर से परे जो दुनिया बसी तेरी,
उसमें मेरा दिल भी उतर जाए ऐसा हो।

चाहत न हो दौलत की, शोहरत की, किसी शय की,
बस तेरा ही जलवा नज़र आए ऐसा हो।

दर पे तेरे आया हूँ झोली को मैं फैला कर,
अब तो ये मेरा दिल सँवर जाए ऐसा हो।

इश्क़ में तेरे खोकर मैं खुद को भी भूल जाऊं,
बस तेरा ही चेहरा उभर जाए ऐसा हो।

"जी आर" को तेरी रहमत का सहारा मिल जाए,
सच्चे प्रेम में वो डूब जाए ऐसा हो।



जी आर कवियूर
04 -02 -2025

Sunday, February 2, 2025

"तेरी झलक देखा करें" (ग़ज़ल)

"तेरी झलक देखा करें"  (ग़ज़ल)

हर मोड़ पर देखा करें,
तेरी झलक देखा करें।

ख़्वाबों में तेरी आरज़ू,
हर शब छलक देखा करें।

आँखों में लेकर बेबसी,
तेरी सड़क देखा करें।

तेरी हँसी की रोशनी,
दिल में चमक देखा करें।

जब भी चले वीरानियों में,
तेरी महक देखा करें।

तू दूर है फिर भी तुझे,
हर दम करीब देखा करें।

'जी आर' तेरा नाम ले,
हर दम फलक देखा करें।

जी आर कवियूर
03 -02 -2025

"तेरी यादों में नूरानी चेहरा"

"तेरी यादों में नूरानी चेहरा"

अब तक देखा नहीं तेरा नूरानी चेहरा
कहाँ गई, चाँद जैसे छुपा है तेरा चेहरा

रातें उदास हैं, तारे भी बुझ से गए
तेरी यादों में सिमटा है सारा बसेरा

हवा भी ठहर के तेरा नाम पूछे
तेरी खुशबू में भीगा है सारा सवेरा

दिल की गली में अब तक हैं उजाले
तेरी हसरत का जलता है दीपक सुनहरा

कभी तो आएगी तू मेरी बाहों में
इसी आस में कटता है हर एक पहरा

दिल में बसी है तेरी मीठी सदा
तेरी हँसी में सजा है मेरा ये जग सारा

बादल से बरसे हैं तेरी याद के आँसू
तेरी राहों में मैंने है खुद को संवारा

जी आर कवियूर
02 -02 -2025

Saturday, February 1, 2025

जुदाई की उम्मीद (ग़ज़ल)

जुदाई की उम्मीद (ग़ज़ल)

ऐसी उम्मीद नहीं थी हमसे,
कि तुम जुदा जाओगे हमसे।

दिल में बसी थी तुम्हारी तस्वीर,
क्या तुम हमें भुला जाओगे हमसे।

राहों में तन्हाई का सिलसिला था,
क्या तुम हमसे कभी न जाओगे हमसे।

ये मोहब्बत थी या कोई ख्वाब था,
क्या तुम हमें छोड़कर जाओगे हमसे।

तेरे बिना दिल ने अब किसी को न चाहा,
क्या तुमसे जुदा हो कर जी पाओगे हमसे।

हमेशा के लिए दिल में बसी है तेरी यादें,
क्या तुम हमें भूलकर रह पाओगे हमसे।

अब जी आर को दूर जाने की ताब नहीं,
क्या तुम बिना हमें जी पाओगे हमसे।

जी आर कवियूर
02 -02 -2025

तेरी मधुर स्मृतियाँ" (ग़ज़ल)

तेरी मधुर स्मृतियाँ" (ग़ज़ल)


तू मेरी धड़कन में संगीत बनकर,
हर एक स्पंदन में राग बनकर।

जब भी ध्यान में आईं तेरी बातें,
भर गई मन में मधुर स्वर बनकर।

हृदय में तेरा रूप सदा रहा,
आत्मा में गूँजा सुर लय बनकर।

तेरा प्रेम अनोखी बात बनी,
दुख में भी एक विश्वास बनकर।

हर घड़ी तेरा नाम जुबां पर,
जैसे पूजा में मंत्र सदा बनकर।

मन की शांति में तेरा एहसास,
गूँज रहा मीठे बोल बनकर।

"जी आर" तेरा नाम हृदय में बसा,
जैसे कोई मधुर गीत बनकर।

जी आर कवियूर
01 -02 -2025