Thursday, February 20, 2025

ग़ज़ल: तेरी यादों के नज़राने के सिवा

ग़ज़ल: तेरी यादों के नज़राने के सिवा

मेरे दिल को बहलाने के सिवा,
तेरी यादों के नज़राने के सिवा।

मुझे मालूम था वादा झूठा था,
कुछ नहीं तेरे बहाने के सिवा।

मेरे अश्कों ने कहा रातों से,
क्या मिला इनको बहाने के सिवा।

हमने चाहा था तुझे हर सांस में,
मगर पाया तेरे अफसाने के सिवा।

तेरे क़दमों के निशां ढूंढा किए,
कुछ न पाया इन वीराने के सिवा।

जी आर ने लिखी जब तेरी दास्तां,
कुछ नहीं था दर्द के फ़साने के सिवा।

जी आर कवियूर
20 - 02 -2025

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