नज़रों से नज़रें मिलीं (ग़ज़ल)
नज़रों से नज़रें मिलीं बात उतरी,
दिल से दिल तक सफ़र करके उतरी।
मैंने मांगी थी तुझसे बस एक झलक,
मगर तू मुकरकर निगाहें बचा उतरी।
ख़ामोश लब थे मगर दिल ने कुछ कहा,
तेरी हर अदा से मोहब्बत सजा उतरी।
चमकती चांदनी भी तेरे हुस्न से हारी,
ख़ुदा की इनायत ज़मीं पर जुड़ा उतरी।
वो पलकों पे सपने संभाल कर रखता है,
हवा बन के तेरी ख़ुशबू छुपा उतरी।
जी आर का हर शेर बस तुझसे है जुड़ा,
वफ़ा का हर रंग तेरे लिए बना उतरी।
जी आर कवियूर
20 - 02 -2025
No comments:
Post a Comment