अब तक देखा नहीं तेरा नूरानी चेहरा
कहाँ गई, चाँद जैसे छुपा है तेरा चेहरा
रातें उदास हैं, तारे भी बुझ से गए
तेरी यादों में सिमटा है सारा बसेरा
हवा भी ठहर के तेरा नाम पूछे
तेरी खुशबू में भीगा है सारा सवेरा
दिल की गली में अब तक हैं उजाले
तेरी हसरत का जलता है दीपक सुनहरा
कभी तो आएगी तू मेरी बाहों में
इसी आस में कटता है हर एक पहरा
दिल में बसी है तेरी मीठी सदा
तेरी हँसी में सजा है मेरा ये जग सारा
बादल से बरसे हैं तेरी याद के आँसू
तेरी राहों में मैंने है खुद को संवारा
जी आर कवियूर
02 -02 -2025
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