"सच्चा प्रेम तेरा"
(सुफ़ियाना ग़ज़ल)
तेरा नाम ही साँसों में बस जाए ऐसा हो,
दिल का हर एक सुर तुझसे जुड़ जाए ऐसा हो।
रंग-ओ-नूर से परे जो दुनिया बसी तेरी,
उसमें मेरा दिल भी उतर जाए ऐसा हो।
चाहत न हो दौलत की, शोहरत की, किसी शय की,
बस तेरा ही जलवा नज़र आए ऐसा हो।
दर पे तेरे आया हूँ झोली को मैं फैला कर,
अब तो ये मेरा दिल सँवर जाए ऐसा हो।
इश्क़ में तेरे खोकर मैं खुद को भी भूल जाऊं,
बस तेरा ही चेहरा उभर जाए ऐसा हो।
"जी आर" को तेरी रहमत का सहारा मिल जाए,
सच्चे प्रेम में वो डूब जाए ऐसा हो।
जी आर कवियूर
04 -02 -2025
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