Monday, February 17, 2025

ग़ज़ल: ख़याल आपका

ग़ज़ल: ख़याल आपका

नींदों में भी उभर आया ख़याल आपका,
नशा जो है उतरता नहीं सवाल आपका।

सूरज की रौशनी में भी चमकते हैं निशां,
दिल पर जो लिख गया है वो कमाल आपका।

हर एक शब गुमां होता है जन्नतों का सफ़र,
महका जो रह गया है वो गुलाब आपका।

जिन लफ़्ज़ों में बयाँ की थी मोहब्बतें कभी,
हर एक शेर में ज़िंदा है जवाब आपका।

दिल की किताब खोल के रख दी है सामने,
देखो तो छुप न पाएगा नक़ाब आपका।

"जी आर" ने जो लिखा है वो आपका करम,
हर इक दुआ में शामिल है हिसाब आपका।

जी आर कवियूर
17 - 02 -2025

No comments:

Post a Comment