Tuesday, April 29, 2025

मेरा दिल है,(ग़ज़ल)

मेरा दिल है,(ग़ज़ल)

शीशा नहीं, पत्थर नहीं — ये मेरा दिल है,
चीरो नहीं — ये दिल मलमल का रूमाल नहीं है।

तेरे इश्क़ में मैंने खुद को खो दिया है,
अब कोई नहीं, सिर्फ़ तेरा सवाल नहीं है।

इश्क़ में दिल तोड़ने की तो बात ही नहीं,
यह दिल कोई खिलौना नहीं, बेमिसाल नहीं है।

मुझे तो हर एक पल में तेरा ही ख्याल है,
कभी न टूटे ये धड़कन, कोई ख़तरा नहीं है।

बिखरने को था, फिर भी एक किया जज़्बा,
यह दिल अब टूटेगा नहीं, कोई जंजाल नहीं है।

चीरो नहीं — ये दिल मलमल का रूमाल नहीं है,
अब 'जी आर' कहता है, यह प्यार कोई ख्वाब नहीं है।

जी आर कवियूर 
३० ०४ २०२५

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