एकांत विचार – 18:
कविता, मेरी सुविधा और दवाइयाँ"
कविता मेरी चाय का प्याला है,
यह मेरी आत्मा का सांत्वना है।
यह मेरी विश्वासपात्र भी है,
और कभी कभी दवा भी।
यह मेरे कानों में धीरे से बड़बड़ाती है,
जब चुप्प की आवाज़ ज्यादा तीव्र होती है।
यह बिना शब्दों के सुनती है,
और आराम से पास आती है।
यह मेरा साथी है जब मैं खो जाता हूँ,
अंधेरे में एक रोशनी।
यह बिना किसी कीमत के मुझे ठीक करती है,
एक शरण जो बिना किसी सीमा के है।
जी आर कवियूर
२५ ०४ २०२५
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