कभी भुलाए न जाने वाले,
आँखों के आँसुओं जैसे मन में घूमते हैं।
एक मुस्कान की छाया की तरह,
उसकी मौजूदगी बनी रहती है।
जब आँखें चुपचाप इंतज़ार करती हैं,
सपनों में वो पास आता है।
आहों में छिपी एक आवाज़ बनकर,
दिल किसी को तड़पकर चाहता है।
जब बिना छुए दूर चला जाए,
तो दिल की अनकही पीड़ा बन जाता है।
अगर यादों में ही छिप जाए वो,
तो दिन में भी रात जैसा लगता है।
जी आर कवियुर
३० ०४ २०२५
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