तेरे बिना जीना बहुत दुश्वार है,
तेरी यादों में ही मेरा संसार है।
हर शाम तुझे सोच के रोता रहा,
दिल को न तेरा साथ मिला, न करार है।
ख़्वाबों में आती है तू हर रात को,
नींदों से भी अब मेरा क्या प्यार है।
तेरी हँसी अब भी है दिल में बसी,
वो पल, वो ख्वाहिशें, वो सजीव़ अहसास हैं।
तेरे जाने के बाद भी हर तरफ़ तेरा असर है,
हर साया, हर हवा तुझसे बेज़ार है।
‘जी आर’ तुझे भूल न पाएंगे हम,
तेरी मोहब्बत ही हमारी पहचान है।
जी आर कवियूर
(जी रघुनाथ)
२५ ०४ २०२५
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