Saturday, April 19, 2025

ग़ज़ल : तेरी याद सताए

ग़ज़ल : तेरी याद सताए 


हर पल तुझी को हमने बुलाए,
तेरी याद हमें फिर सताए।

ख़ामोशियाँ जब पास आए,
तेरी आवाज़ दिल को बहलाए।

जज़्बात नज़रों में उतर आए,
तस्वीरें तेरी रंगों में समाए।

तेरे बिना ये शाम डराए,
रातों को चाँद भी मुँह छुपाए।

हमने जिसे हर बात बताए,
वो आज ग़ैरों को अपना बनाए।

‘जीआर’ के हर सांस में तू समाए,
इश्क़ तेरा अब तक क्यों सताए?


जी आर कवियूर 
(जी रघुनाथ)
20 -04-2025

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