इंतज़ार किया है क़यामत तक तेरे लिए,
यादों में जीते हैं, फ़रियाद तेरे लिए।
हर सांस ने तुझको पुकारा है रातों में,
बुझते नहीं हैं ये हालात तेरे लिए।
मौसम सभी गुज़रे हैं तन्हाई में मगर,
महकता रहा दिल का साथ तेरे लिए।
आँखों में ठहरी हैं तस्वीरें पुरानी,
लिखते रहे हम जज़्बात तेरे लिए।
ख़्वाबों में तू हर घड़ी मुस्कराए,
जैसे खुदा की हो सौगात तेरे लिए।
चाहत है बस इक दीदार की अब 'जी आर',
जीते हैं यूँ ही हर बात तेरे लिए।
जी आर कवियूर
३० ०४ २०२५
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