Monday, April 14, 2025

तेरी यादों की वसंत बहार ( गीत)

तेरी यादों की वसंत बहार ( गीत)

तेरी यादों से ही सजता
मेरे मन का हर एक बसंत,
तेरे होंठों की मुस्कानों में
खिलते फूलों का है चमत्कृत रंग।

तेरी यादों से ही सजता
मेरे मन का हर एक बसंत।

अब भी उन एहसासों को कह न सका,
पर हर लम्हा रोमांचित करता है।
अनजाने जीवन के इस उपवन में
तेरी खुशबू तन्हाई में महकती है।

तेरी यादों से ही सजता
मेरे मन का हर एक बसंत।

दिन खिले जैसे फूलों की घाटी,
रातें तेरी परछाईं बन गईं।
चाँदनी की उस निर्मल छाया में
बीते पल धड़कनों की धुन में ढल गईं।

तेरी यादों से ही सजता
मेरे मन का हर एक बसंत।

अक्षरों में बुनता हूं तेरी बातों को,
हर कविता में छलकती है तेरी मधुरता।
जिसे किसी से कह न सका अब तक,
वो है, सुरतसुख से भी अधिक की अनुभूति।

तेरी यादों से ही सजता
मेरे मन का हर एक बसंत।

जी आर कवियूर 
(जी रघुनाथ)
15-04-2025

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