तेरी यादों की खुशबू बसी है मुझमें,
हर घड़ी तेरा एहसास रहता है मन में।
छू गई दिल को तन्हाई तेरे ग़म में,
भीगते हैं ख़यालात हर एक छन में।
लब खामोश हैं, पर दिल की हर बात में,
तेरा नाम ही उभरे हर इक जज़्बात में।
हर तरफ़ बस तेरा अक्स नज़र आता है,
जैसे कोई दीप हो साँझ के साथ में।
मैंने जब भी अकेले में आँसू बहाए,
तेरा चेहरा उभरा हर इक बरसात में।
अब "जी आर" तुझसे कोई शिकवा नहीं,
तेरी यादें ही हैं मेरी सौगात में।
जी आर कवियूर
(जी रघुनाथ)
२२ ०४ २०२५
No comments:
Post a Comment