Thursday, April 3, 2025

खो गया (ग़ज़ल)

खो गया (ग़ज़ल)

एक इशारा तेरा पैग़ाम, समझ गया
पलकों में था जो अफ़साना, मैं खो गया

निगाहों में था जो जादू, असर हुआ
लब पर सजी जो मुस्कान, मैं खो गया

राहों में बिखरी थी शबनम, पिघल गई
सांसों में घुलता तराना, मैं खो गया

लबों से निकली जो बातें, ठहर गईं
सुनकर वो मीठा फ़साना, मैं खो गया

बाहों में लहरों-सा मर्म, सिमट गया
धड़कन में बजता तराना, मैं खो गया

नाम जी आर का अब अफ़साना, मशहूर है
तेरी दुनिया में बन दिवाना, मैं खो गया
जी आर कवियुर 
03 - 04 -2025

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