""नींव तन्हाइयों की रखी जब तूने,
ख़्वाब आँखों में सिमट गए जब तूने...
कल जो दस्तक थी सपनों की चौखट पर,
दर खुला भी नहीं, खो गया जब तू...
कभी खुशबू थी, कभी अफ़साना था,
हर लम्हा कुछ कह गया जब तू...
हवा की तरहा छू लिया जब तूने,
दिल भी धड़क के रह गया जब तू...
पातिरातों में ग़ज़ल गूंज उठी,
सावन बरस के चल गया जब तू...
"जी आर" की तन्हाइयाँ भी मिट जातीं,
अगर एक बार मुस्कुरा दिया तू...
जी आर कवियूर
14 - 03 -2025
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