Tuesday, March 25, 2025

"तू ही तू" (ग़ज़ल)

"तू ही तू" (ग़ज़ल)

इश्क़ की फ़रियाद में तू ही तू हो,
हर बीती हुई याद में तू ही तू हो।

तेरी वो भीगी छुअन गालों पे अब तक,
अब भी दिल में ठंडक सी रखती है तू हो।

जो लब पे दुआ थी, जो अश्कों में थी,
वो पहली मुहब्बत की राहत थी तू हो।

हर एक मंजर में खुशबू बसी तेरी,
जो बीत भी जाए, हकीकत थी तू हो।

तन्हाइयों में जागी हैं आँखें मेरी,
रातों में अब भी सिसकती है तू हो।

'जी आर' की ग़ज़लों में हर इक जगह,
हर शेर, हर नज़्म, हर दास्तान में तू हो।


जी आर कवियुर 
25 - 03 -2025

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