तेरी आँखों में ठहरी हैं यादें,
तेरी साँसों में बिखरी हैं यादें।
वो लम्हे जो तुझसे जुड़े थे कभी,
आज तक दिल में ज़िंदा हैं यादें।
ख़यालों में तेरा ही चेहरा रहा,
भूल कर भी न मिटती ये यादें।
तेरी हँसी इक महकती हवा थी,
जो बसी दिल में बनकर के यादें।
कभी चाँदनी में जो खिलती रहीं,
अब अंधेरों में सिमटी हैं यादें।
जी आर की ग़ज़लों में तेरा ही ज़िक्र,
लफ़्ज़ बनकर ये बहती हैं यादें।
जी आर कवियूर
18 - 03 -2025
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