Saturday, March 8, 2025

ये हँसी किसके लिए (ग़ज़ल)

ये हँसी किसके लिए (ग़ज़ल)

तेरे होंठों के पीछे छुपी ये हँसी किसके लिए
चमकते सितारे ये आँखों में किसके लिए

बहारें भी आईं, मगर दिल में ख़ुशबू नहीं
बहारों का ये रंग-ओ-रौनक़ है किसके लिए

तेरी याद में रातें जलाकर गुज़ारीं मगर
ये बुझते दिए, राख़ होती लौ किसके लिए

कभी ख़्वाब बनकर बसी नैन में जो हसीं
वो चाहत की दुनिया बसी थी ये किसके लिए

नज़र चुप थी, लब भी ख़ामोश थे इस क़दर
मगर दिल में उठती सदा थी ये किसके लिए

जी आर ने लिखी ग़ज़ल प्यार में डूब कर
मगर ये सुनाने की हसरत है किसके लिए

जी आर कवियूर
09 - 03 -2025

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