शायरी का यह समंदर यूँ ही लहराता रहे,
हर लफ़्ज़ में आपकी मोहब्बत झलकती रहे।
दिल की गलियों में बसें ख़्वाब हज़ारों ऐसे,
हर सुबह प्यार की ख़ुशबू से महकती रहे।
जो भी गुज़रे तेरी महफ़िल से, संवर जाए वो,
तेरी बातों की मिठास रूह में बसती रहे।
तेरी आवाज़ में जादू है, असर ऐसा है,
बिन कहे भी तेरी हर बात समझती रहे।
शायरी बन के मेरी साँस में रहती है तू,
पर तुझे ख़ुद ही यह पहचान नहीं होती है।
'जी आर' यूँ ही बिखेरें ये ग़ज़ल की खुशबू,
हर महफ़िल में सदा बात ये चलती रहे।
जी आर कवियूर
19 - 03 -2025
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