Friday, March 21, 2025

सच्चा नसीब (सूफी ग़ज़ल)

सच्चा नसीब (सूफी ग़ज़ल)

ये जीवन उसी की देन बन गया,
हर पल में बस उसकी छाँव बन गया।

जो आया यहाँ, फिर चला जाएगा,
यह सच भी उसकी पहचान बन गया।

वो चाहे तो पत्थर को सोना करे,
हर पल उसी का वरदान बन गया।

कभी रोशनी, तो कभी धूप-छाँव,
हर रूप में उसका दर्शन बन गया।

'जी आर' जो भी लिखता यहाँ,
वो शब्द भी उसकी पूजा बन गया।

जी आर कवियुर 
22 - 03 -2025

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