दिल से निकली जो बात, असर कर गई,
तेरे दिल तक गई, दिल में घर कर गई।
शेर कहने लगे जब लबों से कभी,
तेरी आँखों में वो ख़ुशबू भर गई।
इश्क़ की रौशनी से सजी थी ग़ज़ल,
चाँदनी बनके वो हर पहर कर गई।
तूने चाहा नहीं फिर भी सुनता रहा,
शायरी तुझको तुझसे ही डर कर गई।
तेरी यादों ने दिल में जगह जो बनाई,
जिंदगी उन लमहों पे फ़िदा कर गई।
'जी आर' जो भी लफ़्ज़ों में ढलता गया,
एक नज़्मों की दुनिया बसर कर गई।
जी आर कवियुर
22 - 03 -2025
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