शायरी भी मोहब्बत की सूरत लगी,
हर किसी को यह दिल की हकीकत लगी।
एक आवाज़ में भाव मिलते गए,
बात छोटी थी पर इक कहानी लगी।
प्रेम की बात जब शब्दों में ढली,
हर पंक्ति मुझे अपनी विरासत लगी।
मैंने पूछा इन पंक्तियों से, "तू कौन है?"
मुझको खुद की ही कोई चालाकी लगी।
तेरी यादों ने जब भी सहारा दिया,
हर कविता में बस तेरी मस्ती लगी।
'जी आर' जो भी लिखा भावनाओं से,
वह प्रेम की मीठी इबादत लगी।
जी आर कवियुर
22 - 03 -2025
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