अगर तू न होती तो नग़मा न होता,
ख़यालों में उपवन महकता न होता।
बहारों के रंगों में जादू न रहता,
हवा का तराना मचलता न होता।
तेरी याद के साथ कोयल जो गाती,
वो सुर मन के तारों में बसता न होता।
जो तेरा हँसना उजाला न देता,
तो चंदा का चेहरा दमकता न होता।
ख़ुशी के बहाने भी कम हो गए थे,
अगर तेरा आँचल सिमटता न होता।
तेरे प्रेम में जो उजाले मिले हैं,
वो मन का दर्पण संवरता न होता।
"जी आर" के शब्दों में तेरा ही जादू,
अगर तू न होती तो ग़ज़ल भी न होती।
जी आर कवियूर
11 - 03 -2025
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