Monday, March 10, 2025

अगर तू न होती" (ग़ज़ल)

अगर तू न होती" (ग़ज़ल)

अगर तू न होती तो नग़मा न होता,
ख़यालों में उपवन महकता न होता।

बहारों के रंगों में जादू न रहता,
हवा का तराना मचलता न होता।

तेरी याद के साथ कोयल जो गाती,
वो सुर मन के तारों में बसता न होता।

जो तेरा हँसना उजाला न देता,
तो चंदा का चेहरा दमकता न होता।

ख़ुशी के बहाने भी कम हो गए थे,
अगर तेरा आँचल सिमटता न होता।

तेरे प्रेम में जो उजाले मिले हैं,
वो मन का दर्पण संवरता न होता।

"जी आर" के शब्दों में तेरा ही जादू,
अगर तू न होती तो ग़ज़ल भी न होती।

जी आर कवियूर
 11 - 03 -2025

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