ज़िंदगी की राह में मिल गया,
जीने का सबब हमें मिल गया।
ग़म के अंधेरों में रोशन हुआ,
जो तेरा दीया था, वो मिल गया।
साथ चलने का वादा किया,
दिल को सुकून तेरा मिल गया।
बिछड़े थे हम जो किसी मोड़ पर,
फिर से वहीं रास्ता मिल गया।
ख़्वाबों में तेरा जो चेहरा मिला,
दिल को सजीव लम्हा मिल गया।
'जी आर' को अब कोई ग़म नहीं,
तेरी यादों में जहाँ मिल गया।
जी आर कवियूर
08 - 03 -2025
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