किया था मैंने भी
इश्क मगर ( गजल )
किया था मैंने भी
इश्क उससे मगर
दिल की बातों को
समझ न पाई वो
ख्वाबों में जीता रहा
उसकी यादों में मगर
वो बेखबर थी,
मेरे प्यार से
मैंने चाहा उसे
दिल से मगर
वो दूर हो गई
जाने किस राह पर
ख्वाब टूटे मेरे
बिखर गई सारी आस
दिल के अरमानों को
ना मिली कोई पनाह
अब यादें हैं बस
और कुछ नहीं
वो चली गई
मुझे छोड़कर
आँसू भी सूख गए
अब रोना भी क्या
इश्क की राहों में
बस यही होता है
रचना
जी आर कवियूर
08 06 2024
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