जिंदगी की कहानी (गजल)
कंधा से कंधा मिलाकर
हम चले थे राहों में,
सपनों की चाह लेकर,
हर खुशी थी निगाहों में।
रिश्तों की महक थी,
फूलों की तरह खिले थे,
जीवन की बगिया में हम,
सावन के बादल बनके मिले थे।
हर दर्द को सहा था
हमने मुस्कान की ओट में,
कभी ना रुके कदम,
चाहे कितनी भी हों
मुश्किलें चोट में।
पर कहानी का अंत भी आया,
समय की चाल थी ऐसी,
कंधा देकर विदा किया,
जिंदगी की राह थी वैसी।
आंसुओं ने भी कहा अलविदा,
सपनों ने छोड़ दी राह,
कहानी खत्म हो गई,
मगर यादें रहेंगी सदा साथ।
पलकों में बसे वो लम्हें,
दिल में बसी उनकी बात,
हम चलते रहेंगे यूं ही,
उनकी यादों के साथ।
कंधा से कंधा मिलाकर
हम चले थे राहों में,
सपनों की चाह लेकर,
हर खुशी थी निगाहों में।
जी आर कवियूर
24 06 2024
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