जब कृष्ण की बांसुरी बजने लगती है,
दिल की दीवारें पिघल जाती हैं और फिसल जाती हैं।
हर स्वर एक फुसफुसाहट है, कोमल और मधुर,
एक ऐसा प्रेम जो इतना शुद्ध है कि हमारी आत्माएँ मिल जाती हैं।
एक ऐसा राग जो समय के साथ बुनता है,
एक नदी का प्रवाह एकदम लय में।
यह प्रेम की बात करता है, यह अनुग्रह के गीत गाता है,
यह हर जगह अंधेरे को रोशन करता है।
हर दिल में एक आग जलती है,
सबसे अंधेरी रातों में एक प्रकाश स्तंभ।
बांसुरी की मधुर आवाज, एक सर्वोच्च प्रेम,
एक सपने की तरह दिलों को जगाती है।
जीआर कवियूर
24 06 2024
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