अश्कों को छुपाना आसान नहीं
यादों की बारात लिए घूमता हूं
तन्हाई की राहों में साया नहीं
दर्द की गहराई में डूबता हूं
हर एक लम्हा गुजरा तेरा ही ख्याल
तेरे बिना कैसे मैं जीता हूं
जग सारा सोता और मैं जागता
तेरी यादों में रातें बिताता हूं
तेरे लौट आने की आस में हर दिन
उम्मीद का दिया जलाता हूं
बिन तेरे अब कोई सहारा नहीं
बस तेरा इंतजार करता हूं
जी आर कवियूर
29 06 2024
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