Thursday, June 6, 2024

खामोशियां भी बोलने लगी ( गजल )

खामोशियां भी बोलने लगी ( गजल )


दूर तक तेरे आने की
राह देखता रहा
खामोशियां भी बोलने लगी
तनहाई भी साथ रहने लगी

हर आहट पर तेरा नाम लिया
हर साये में तुझको ढूंढा किया
ख्वाबों में बस तेरा चेहरा था
जागते हुए भी तुझसे गुफ्तगू की

दिल की बात दिल में रह गई
आंखों से बहती ये नमी कह गई
तेरे बिना जिंदगी अधूरी है
तेरे बिना ये दुनिया भी सूनी है

हर पल तेरी यादें सताती हैं
तेरे बिना धड़कन भी रुक जाती है
कब आएगा वो पल, जब तू आएगी
तुझसे मिलकर ये दुनिया सजीव हो जाएगी

रचना 
जी आर कवियूर
06 06 2024

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