Sunday, June 23, 2024

इरादा नेक ही था ( गजल )

इरादा नेक ही था ( गजल )


इश्क हमसे क्यों पर्दा, 
इतनी इनायत क्यों है
दिल में बसा कर हमें, 
तुझको शिकायत क्यों है

हर धड़कन में तेरा नाम, 
लब पे तेरा ही ज़िक्र
तेरे बिन ये ज़िन्दगी, 
बस एक सज़ा-ए-फिक्र

इरादा नेक ही था, 
चाहत में खोट ना था
फिर क्यों तू दूर हुआ, 
दिल में कोई भ्रम ना था

रास्ते अलग हुए, 
मन में उलझनें बढ़ी
तेरी यादें रात दिन, 
दिल को बस यूँ ही कड़ी

हमने तुझको चाहा था, 
इबादत की तरह
फिर भी क्यों तू छिप गया, 
एक हकीकत की तरह

जी आर कवियूर
23 06 2024

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