Monday, September 23, 2024

नज़्म: न हम कभी अलग होंगे

नज़्म: न हम कभी अलग होंगे

अब जब हम अलग होंगे,  
ख्वाबों की रोशनी में मिलेंगे।  
जैसे किताब में सूखा फूल,  
अक्षरों के फूल खिलेंगे गज़ल के साथ।

मन के तार आपस में जुड़ेंगे,  
मोती जैसे हार में सजेंगे।  
रेशे की तरह एक होंगे हम,  
जीवन बढ़ेगा प्रेम से भरे हुए।

प्रेम हर रोज़ बढ़ेगा जैसे लता,  
आपसी विश्वास की सांसों से।  
मानवता के मूल्यों को न हो कमी,  
भीतर भरे करुणा हमेशा।

मैं और तुम नहीं, एक हैं हम,  
इस सत्य को पहचानो तुम।  
आनंद से भरी इस अनुभूति में,  
जन्मों तक झूमते रहें हम।

अब जब हम अलग होंगे,  
ख्वाबों की रोशनी में मिलेंगे।  
जैसे किताब में सूखा फूल,  
अक्षरों के फूल खिलेंगे गज़ल के साथ।


जी आर कवियूर
23 09 2024

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