यादों की ज़ख्में लेकर
यादों की ज़ख्में लेकर,
अश्कों को बहते रहे तेरे लिए।
सूनी पड़ी थी राहें कांटे भरे,
तनहाई भी मीठी लगे।
हर एक लम्हा तेरा इंतज़ार,
दिल में बसी है एक सूरत यार।
चाँदनी रातों में, ख्यालों का जादू,
बिना तुझसे हर पल लगे बेमिसाल।
तेरे बिना ये दिल है वीरान,
यादों में खोया, हर अरमान।
सपनों में आकर, छू दे मुझे,
इस जीवन का हर पल लगे अधूरा सा।
गुज़रे लम्हों की खुशबू है ताज़ा,
साथ बिताए पल हैं जैसे साज़ा।
फिर से लौट आ, बाहों में समा,
बिना तेरे ये दिल है बस एक सहरा।
जी आर कवियूर
17 09 2024
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