सूरज और किस का संग राष्ट्र की उन्नति
सूरज की किरणें जब मिट्टी में समाती हैं,
किसान की मेहनत से फसलें लहराती हैं।
धूप से तपता, पर हौसला न हारता,
खेत में खड़ा, वो सूरज को निहारता।
मिट्टी की गोद में जो बीज वो बोता है,
राष्ट्र का स्वाभिमान उसमें पनपता है।
पसीने की बूंदों से धरती को सींचता,
सपनों की फसल, हर दिन वो खींचता।
सूरज का संग, उसका विश्वास है,
हर उगता दिन, नई आस है।
देश की उन्नति, उसकी पहचान,
किसान है असली, राष्ट्र का स्वाभिमान।
जी आर कवियूर
08 08 2024
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