Thursday, August 8, 2024

सूरज और किस का संग राष्ट्र की उन्नति

सूरज और किस का संग राष्ट्र की उन्नति

सूरज की किरणें जब मिट्टी में समाती हैं,  
किसान की मेहनत से फसलें लहराती हैं।  
धूप से तपता, पर हौसला न हारता,  
खेत में खड़ा, वो सूरज को निहारता।  

मिट्टी की गोद में जो बीज वो बोता है,  
राष्ट्र का स्वाभिमान उसमें पनपता है।  
पसीने की बूंदों से धरती को सींचता,  
सपनों की फसल, हर दिन वो खींचता।  

सूरज का संग, उसका विश्वास है,  
हर उगता दिन, नई आस है।  

देश की उन्नति, उसकी पहचान,  
किसान है असली, राष्ट्र का स्वाभिमान।

जी आर कवियूर
 08 08 2024 


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