Saturday, August 24, 2024

बस यही ख्वाब सजाता हूं।

बस यही ख्वाब सजाता हूं।  


तुमको इतना चाहते थे
दूर से देखा करते थे

आज भी मन की आई ने में
तेरी तस्वीर लगा बैठा हूं

तू हर लम्हा याद आती है  
तेरी खुशबू भी सताती है  

दिल की धड़कन सुन ले तू  
हर धड़कन में नाम तेरा ही आता है  

जिन राहों पर तूने कदम रखा  
उन राहों को मैं ताकता हूं  

तेरे बिना जीना मुश्किल है  
ये बात दिल से कहता हूं  

इक बार मिल जाएं हम फिर से  
बस यही ख्वाब सजाता हूं।  

जी आर कवियूर
25 08 2024


No comments:

Post a Comment