Monday, January 8, 2024

सच्चे आपसी प्यार।

सच्चे आपसी प्यार।

खोजने निकला था तुझे
गली चौबारे नुक्कड़
मजारों पर तक भी खोजा
खोजते खोजते जन्म निकल गई

सूरज की किरणों में ढूंढा
चाँदनी रातों के साएं में
हर कोने में बसी तेरी मुस्कान
खोजता रहा, दिल थमा सा रहा

रिश्तों की माया में भटका
प्यार के राज़ में खोजा
आंसुओं की बूंदों में छुपा
खोजते खोजते, सपनों का सफर

बारिशों की बूंदों में मिला
प्रेम की धुप में रंगा
संगीत की ताल में बहकर
खोजते खोजते, सच्चे आपसी प्यार।

रचना 
जी आर कवियूर
 08 01 2024

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