Monday, January 15, 2024

वापस लौटा दो मुझे

वापस लौटा दो मुझे

लाज रखते हो 
इतना हमसे क्यों
चोरी जो की है
तुमने मेरे दिल को
वापस लौटा दो मुझे
दर्द होती है समझो जरा

दिल में छुपा हुआ
इश्क़ का दर्द सुनो
कहाँ गई वो मुस्कान
जो थी हमारे होने पर
रातें लम्बी हो जातीं
बिना तुम्हारे साथ
बीततीं हैं रुक-रुक कर
क्यों छोड़ा मुझे तुमने
अब मेरी राहों में
बस तुम्हारी तलाश है
हर कहानी की तरह।

आंसुओं को पिघला दो
इन ख्वाबों को हकीकत में
मेरे दिल की गहराईयों में
तुम्हारा इजहार हो जाए
कभी था तेरे लिए एक सपना
पर अब हूँ मैं तन्हा
क्यों छोड़ा इतनी जल्दी
जाने क्यों बिगड़ गई है
तेरे बिना यह दिल
सुनसान सा हो जाए
इस इश्क की बेहद मोहब्बत
तुम्हें मेरी जरा सी है।

रचना 
जी आर कवियूर
 15  01 2024

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