तेरे सवालों के जवाबों में
उम्र भर तेरे याद पर
जीता रहा इस हाल में
तेरी खामोशियां मुझे
बेनकाब कर दिया है
दिल की बातें रुकी हैं
बस मेरी आँखों में
इश्क़ की राहों में
खो रहा हूँ साँसों में
बूंदों की तरह गिरा
तेरे दीदार का सामान
मेरी रातों में
जलता है तेरा इंतजार मैं
राहों में बिखरी है
तेरी मुस्कान की बूंदें
सपनों में हूँ भटका
तेरी यादों के ख्वाबों में
रूह का हर किस्सा
तेरे इश्क़ में बयाँ है
बसा हूँ मैं इस दीवारों में
तेरे सवालों के जवाबों में
रचना
जी आर कवियूर
07 01 2024
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